Sunday, 17 December 2017

गोपाल कृष्ण गोखले जीवनी | Gopal Krishna Gokhale

गोपाल कृष्ण गोखले जीवनी | Gopal Krishna Gokhale-


Gopal Krishna Gokhale – गोपाल क्रिष्ण गोखले भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के मुख्य नेताओ में से एक थे. वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राजनैतिक गुरु भी थे. 1905 में बनारस में हुए कांग्रेस के विशेष सत्र को इन्होंने संबोधित भी किया था. उन्होंने कांग्रेस पार्टी में उग्रवादियों के प्रवेश का विरोध भी किया था. उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण काम किये हैं. इस लेख में उनके बारे में जानते हैं.

गोपाल कृष्ण गोखले – Gopal Krishna Gokhale

पूरा नाम  – गोपाल कृष्ण गोखले.
जन्म –   9 मई 1966.
जन्मस्थान – कोतलूक (जि. रत्नागिरी, महाराष्ट्र).
पिता   – कृष्णराव गोखले.
माता  –  सत्यभामा गोखले.
शिक्षा –  1884 मे बम्बई एलफिन्स्टन कॉलेज से B.A. (गणित) की परिक्षा उत्तीर्ण.
विवाह –  सावित्रीबाई के साथ.
गोपाल कृष्णा गोखले ब्रिटिश राज के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक सामाजिक और राजनैतिक नेता थे. गोखले भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के वरिष्ट नेता और भारतीय कर्मचारी संस्था के संस्थापक थे. कांग्रेस और अपनी कर्मचारी संस्था के साथ-साथ अन्य क्रन्तिकारी संस्थाओ के लिए भी गोखले ने काम किया. गोखले केवल ब्रिटिश राज को खत्म करने के लिए ही नहीं लढे बल्कि देश का विकास करने के लिए सतत कोशिशे करते रहते थे. उनके इस लक्ष को प्राप्त करने के लिए वे महात्मा के तत्व- अहिंसा का पालन करते और सरकारी संस्थाओ में सुधार करने की कोशिश करते.

गोपाल कृष्णा गोखले शिक्षा / Gopal Krishna Gokhale Education

गोपाल कृष्णा गोखले / Gopal Krishna Gokhale का जन्म चित्पावन ब्राह्मण परिवार में 9 मई 1866 को रत्नागिरी जिले के गुहागर तालुका के कोठ्लुक ग्राम में हुआ, जो अभी महाराष्ट्र (उस समय बॉम्बे राज्य का भाग) में स्थित है. एक गरीब परिवार से होने के बावजूद उनके परिवार वालो ने उन्हें इंग्लिश शिक्षा प्रदान की. और इसी वजहसे उन्हें ब्रिटिश राज में किसी छोटे कार्यालय में एक कर्मचारी की नौकरी मिली. वे भारतीयों में विश्व्विद्यालायीं शिक्षा प्राप्त करने वाली पहली पीढ़ी में से एक थे. गोखले 1884 में Elphinstone College से ग्रेजुएट हुए.
गोखले पर शिक्षा ग्रहण करने के दौरान पश्चिमी विद्वानों के विचारो का बहोत प्रभाव पड़ा. वे पश्चिमी राजनीती से दूर रहते थे लेकिन पश्चिमी सिद्धान्तकर जॉन स्टुअर्ट मिल और अदमुन्द बुर्के के सिद्धांतो का उनपर बहोत प्रभाव पड़ा. पढ़ते समय उन्होंने कई इंग्लिश सिद्धांतो की आलोचना भी की.

गोपाल कृष्णा गोखले परिवार / Gopala Krishna Gokhale Family – Personal Life

गोखले अपने अंतिम वर्षो में भी राजनैतिक जीवन में सक्रीय थे. वे अपने जीवन में अंतिम वर्षो में भी विदेशी यात्रा करते, 1908 में उन्होंने इंग्लैंड की ट्रिप की, साथ ही 1912 में वे साऊथ अफ्रीका भी गये, जहा उन्होंने देखा की महात्मा गांधीजी – Mahatma Gandhi वहा रहने वाले भारतीयों की परिस्थितियों में सुधार कर रहे है, तो गोखले ने भी उनका साथ दिया. साथ ही वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस, भारतीय कर्मचारी संस्था और कानूनी संस्थाओ के साथ मिलकर ब्रिटिश राज को खत्म करने का प्रयास कर रहे थे.
वे भारत में शिक्षा प्रणाली को विकसित करना चाहते थे, ताकि युवाओ को अच्छे से अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके. इन सभी विचारो ने उन्हें बहोत क्षति पहोचाई, और अंत में 19 फेब्रुअरी 1915 को 49 साल की आयु में उनकी मृत्यु हो गयी. बाल गंगाधर तिलक – Bal Gangadhar Tilak जो हमेशा से उनके राजनैतिक विरोधी थे, उन्होंने उनके दाह-संस्कार में कहा की, “भारत का यह हीरा, महाराष्ट्र का अनमोल रत्न, कर्मचारियों का बादशाह शाश्वत रूप से इस जमीन पर विश्राम कर रहा है. उनकी तरफ देखो और उनका अनुकरण करो”. गोखले हम सभी के लिए अनश्वर और अमर व्यक्ति थे.
गोपाल कृष्णा गोखले / Gopal Krishna Gokhale एक ऐसा नाम था जिसे अंग्रेज भी बड़ी इज्ज़त से लेते थे. एक ऐसे स्वाध्यायी व विद्वान जिनके बारे में स्वयं उस समय के भारतीय कमांडर-इन चीफ किचनर ने कहा था- “गोखले ने यदि कोई अंग्रेजी पुस्तक नहीं पढ़ी है अवश्य ही वह पढने योग्य होगी ही नहीं”.
गोपालकृष्ण गोखले एक ऐसी विभूति जिसने भारतीय जन-जीवन में स्वाधीनता का मन्त्र ऐसा फुका की अंग्रेज हिल गये. एक ऐसे राजनीतिज्ञ जिन्हें महात्मा गांधीजी – Mahatma Gandhi जी भी अपना राजनितिक गुरु मानते थे और उन्हें सलाह लेते थे.
एक नजर में गोपाल कृष्ण गोखले का इतिहास / GK Gokhale History
1) 1885 मे पुणा के न्यु इंग्लिश में 35 रु. तनखा पर उन्होंने शिक्षक की नौकरी स्वीकार की.
2) 1886 में पूणा के डेक्कन एज्युकेशन सोसायटी के आजीव सदस्य बने.
3) 1887 से फर्ग्युसन कॉलेज मे अंग्रेजी और इतिहास विषय के अध्यापक के रूप मे काम किया.अंग्रेजी भाषा पर उनका बहुत अच्छा प्रभुत्व था.
4) 1888 मे ‘सुधारक’ इस अखबार के अंग्रेजी विभाग के संपादक की जिम्मेदारी गोपाल कृष्ण गोखले इन्होंने संभाली.
5) 1889 मे Gopal Krishna Gokhale राष्ट्रीय कॉग्रेस मे प्रवेश.
6) 1890 सार्वजानिक सभा के सचिव के रूप में उनको चुना गया.
7) 1895 में बम्बई विश्वविद्यालय के सिनेट पर ‘फेलो’ के रूप मे उनकी नियुक्त हुयी.
8) 1897 मे गोखले इन्होंने वेल्बी कमिशन के आगे गवाही देने के लिये इंग्लंड गये. उसके बाद अनेक कारणों की वजह सें और छे बार वो इंग्लंड गये.
9) 1899 में बम्बई प्रांतिंक कानून बोर्ड के सभासद के रूप मे चूना गया.
10) 1902 मे केंद्रीय कानून बोर्ड के सभासद के रूप मे नियुक्ती हुयी.
11) 1905 मे ‘भारत सेवक समाज’ (सर्व्हन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी) ये संस्था स्थापना की. राष्ट्र के सेवा के लिये प्रमाणिक श्रध्दालु और त्याग भावना से कार्य करनेवाले सामाजिक और राजकीय कार्यकर्ते तयार करना ये इस संस्था के स्थापना के पिछे मुख्य उददेश था.
12) 1905 मे बनारस मे हुये राष्ट्रीय कॉग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष के रूप मे उनको नियुक्त किया गया.
13) 1912 मे उनकी भारत मे सिवील सवर्न्ट से संबधित रॉयल कमिशन के सदस्य के रूप में उनको चुना गया.
14) 1912 मे महात्मा गांधी के बुलाने से वो दक्षिण आफ्रिका गये. दक्षिण आफ्रिका मे के सत्याग्रही आंदोलन को सहाय्य करने के लिये निधी जमा करने के काम मे भी वो आगे थे.
विशेषता  – महात्मा गांधी ने गोपाल कृष्ण गोखले इनको आजन्म गुरु माना.
मृत्यु     – 19 फरवरी 1915 को गोपाल कृष्ण गोखले / Gopal Krishna Gokhale मृत्यु हुयी.
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